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भारत में ऑनलाइन FIR कैसे दर्ज करें - पूरी गाइड

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प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करना भारत में किसी अपराध की रिपोर्ट करने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। पहले केवल पुलिस स्टेशन जाकर ही FIR दर्ज की जा सकती थी, लेकिन डिजिटल प्रगति के साथ अब कई राज्यों में कुछ अपराधों के लिए ऑनलाइन FIR दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है।


यह गाइड आपको ऑनलाइन FIR दर्ज करने की चरण-दर-चरण प्रक्रिया, किन शिकायतों के लिए यह लागू होता है और कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएगी।


FIR क्या होती है?


FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट) एक लिखित दस्तावेज है जो पुलिस द्वारा तैयार किया जाता है जब उन्हें संज्ञेय अपराध (गंभीर अपराध जहां पुलिस वारंट के बिना गिरफ्तारी कर सकती है, जैसे चोरी, हमला या धोखाधड़ी) की सूचना मिलती है।


FIR कानूनी प्रक्रिया शुरू करती है और पुलिस को जांच में मदद करती है।


क्या भारत में ऑनलाइन FIR दर्ज की जा सकती है?


हां! कई भारतीय राज्य कुछ शिकायतों या ई-FIR दर्ज करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल प्रदान करते हैं। हालांकि, आमतौर पर केवल निम्नलिखित मामलों में ही ऑनलाइन FIR दर्ज की जा सकती है:


  • गैर-गंभीर अपराध (जैसे खोई हुई वस्तुएं, छोटी चोरी, साइबर धोखाधड़ी)

  • जहां तत्काल पुलिस हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है


गंभीर अपराधों (जैसे हत्या, बलात्कार, अपहरण) के लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन पर जाकर FIR दर्ज करनी होगी।


ऑनलाइन FIR दर्ज करने की चरण-दर-चरण गाइड


चरण 1: संबंधित राज्य के पुलिस के आधिकारिक पोर्टल पर जाएं


प्रत्येक राज्य का अपना ऑनलाइन शिकायत पोर्टल है। कुछ प्रमुख पोर्टल:



चरण 2: रजिस्टर/लॉगिन करें


  • नए उपयोगकर्ता हैं तो अपने मोबाइल नंबर और ईमेल से अकाउंट बनाएं।

  • मौजूदा उपयोगकर्ता क्रेडेंशियल्स से लॉगिन कर सकते हैं।


चरण 3: "शिकायत दर्ज करें" या "ई-FIR" विकल्प चुनें


  • उचित विकल्प चुनें (जैसे "खोई वस्तु की रिपोर्ट", "साइबर अपराध", "सामान्य शिकायत")।

  • कुछ राज्य सीधे ई-FIR दर्ज करने की अनुमति देते हैं, जबकि कुछ में आपकी शिकायत स्थानीय थाने को भेजी जा सकती है।


चरण 4: शिकायत की जानकारी भरें


सटीक जानकारी प्रदान करें, जिसमें शामिल हैं:


  • व्यक्तिगत विवरण (नाम, पता, संपर्क नंबर)

  • घटना का विवरण (तारीख, समय, स्थान, अपराध का विवरण)

  • आरोपी का विवरण (यदि ज्ञात हो)

  • समर्थित दस्तावेज़ (यदि कोई हो, जैसे आईडी प्रूफ, फोटो या स्क्रीनशॉट)


चरण 5: सबमिट करें और संदर्भ संख्या नोट करें


  • सबमिट करने के बाद आपको शिकायत संख्या/पावती पर्ची मिलेगी।

  • भविष्य में ट्रैक करने के लिए इसे सुरक्षित रखें।


चरण 6: फॉलो-अप करें


  • पुलिस सत्यापन के लिए आपसे संपर्क कर सकती है।

  • संदर्भ संख्या का उपयोग करके ऑनलाइन स्थिति की जांच करें।

  • यदि कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो उच्च अधिकारियों (जैसे कमिश्नर का कार्यालय या राज्य पुलिस हेल्पलाइन) से संपर्क करें।


अगर पुलिस FIR दर्ज करने से इनकार कर दे तो क्या करें?


  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173 के तहत, पुलिस के लिए संज्ञेय अपराधों की FIR दर्ज करना अनिवार्य है।

  • यदि वे इनकार करते हैं, तो आप:


    • पुलिस अधीक्षक (एसपी) या कमिश्नर से संपर्क कर सकते हैं।

    • राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

    • न्यायिक मजिस्ट्रेट को लिखित आवेदन दे सकते हैं।


याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें


झूठी FIR दर्ज करना दंडनीय है भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत (6 महीने तक की जेल)।

गंभीर अपराधों (अपहरण, हमला) के लिए तुरंत पुलिस स्टेशन जाएं।

साइबर अपराध की शिकायत https://cybercrime.gov.in पर भी दर्ज की जा सकती है।


निष्कर्ष


ऑनलाइन FIR दर्ज करना एक सुविधाजनक तरीका है जिससे छोटे अपराधों की रिपोर्ट पुलिस स्टेशन जाए बिना की जा सकती है। हालांकि, गंभीर अपराधों के लिए हमेशा नजदीकी थाने पर संपर्क करें।


क्या आपने कभी ऑनलाइन FIR दर्ज की है? अपना अनुभव कमेंट में साझा करें!


🔗 उपयोगी लिंक्स:



सजग रहें, सुरक्षित रहें! 🚨


महत्वपूर्ण कानूनी अपडेट (2024)


  • भारतीय दंड संहिता (IPC) को भारतीय न्याय संहिता (BNS) से बदल दिया गया है।

  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) से बदल दिया गया है।

  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) से बदल दिया गया है।


शिकायत दर्ज करते समय हमेशा नवीनतम कानूनी प्रावधानों का पालन करें।


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